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सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
आईचौक
@iChowk
मनोज तिवारी हों या प्रवेश वर्मा- दिल्ली BJP का सिरदर्द टोपी बदलने से नहीं थमेगा!
मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष (Delhi BJP President) पद से इस्तीफे की पेशकश कर दी है - और उनकी जगह प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) को कमान थमाये जाने की खबर है. सवाल है कि व्यक्ति बदल देने से हालात कैसे बदल जाएंगे - प्रदर्शन के मामले में तो प्रवेश वर्मा पर मनोज तिवारी बेहतर ही हैं.
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
Delhi election results: अब किस बात की जिम्मेदारी ले रहे हैं मनोज तिवारी?
दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने चुनाव (Delhi Election Results 2020) में हार की जिम्मेदारी ले ली है - लेकिन क्या मनोज तिवारी पर जीत की जिम्मेदारी थी? मनोज तिवारी तो बस मोदी-शाह (Narendra Modi and Amit Shah) के पीछे खड़े थे, फिर वो हार की तोहमत खुद क्यों ले रहे हैं?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
Harsh Vardhan ने Rahul Gandhi को घेर कर दिल्ली CM पद पर दावेदारी जतायी है
राहुल गांधी का नाम लेकर मोदी के (Rahul Gandhi remarks on PM Modi) नाम पर केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन (Harsh Vardhan) ने जो कदम बढ़ाया है उसके मूल में दिल्ली की राजनीति (Delhi BJP politics) है. असल बात तो ये है कि मनोज तिवारी और प्रवेश वर्मा के बीच टकराव की स्थिति में हर्षवर्धन ने चौंकाने वाले नतीजे आने पर मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी जतायी है.
सियासत
| 7-मिनट में पढ़ें
बिलाल एम जाफ़री
@bilal.jafri.7
Delhi election: बीजेपी की सीएम उम्मीदवार की कमी राष्ट्रवाद से पूरी हो पाएगी?
Delhi Assembly Elections के मद्देनजर तैयारियां तेज हैं. आज भले ही चुनाव से ठीक पहले RSS, दिल्ली में BJP की मदद के लिए आगे आ गया हो और राष्ट्रवाद को एक बड़ा मुद्दा बनाने की प्लानिंग कर रहा हो. मगर सवाल ये है कि क्या Delhi में BJP के लिए इतना ही काफी है?
सियासत
| बड़ा आर्टिकल
आईचौक
@iChowk
बीजेपी का ऑपरेशन लोटस कर्नाटक के बाद दो और राज्यों में!
कर्नाटक में कामयाब बीजेपी का ऑपरेशन लोटस दिल्ली में एक बार फेल हो चुका है, लेकिन कोशिशें जारी हैं. देखना है दिल्ली और पश्चिम बंगाल के अलावा और कितने राज्य इसकी जद में आ पाते हैं.
सियासत
| 4-मिनट में पढ़ें
गिरिजेश वशिष्ठ
@girijeshv
अगर सीलिंग नहीं हुई तो तबाह हो जाएगी दिल्ली!
हमारे समाज का दुर्भाग्य ये है कि जो ज्यादा जोर से चीखता है, उसकी आवाज़ सुनी जाने लगती है. भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यवस्था बनाई है, उसके लिए भी व्यापारियों के मन में कोई सम्मान नहीं है.
स्पोर्ट्स
| 3-मिनट में पढ़ें
विनीत कुमार
@vineet.dubey.98
शर्म कीजिए, हमारे पास अपने एथलीट्स को देने के लिए पानी भी नहीं है....
तैयारियों और इवेंट्स के दौरान हमारे खिलाड़ी, हमारे एथलीट, हमारे कोच किन परिस्थितियों से गुजरते हैं, इसक एक नमूना महिला मैराथन रनर ओपी जायशा ने पेश कर दिया है. पढ़िए, फिर सवाल पूछिएगा कि हम ओलंपिक में मेडल क्यों नहीं जीत पाते...
स्पोर्ट्स
| बड़ा आर्टिकल
देबदत्त भट्टाचार्या
@debdutta.bhattacharjee.9
ओलंपिक में एक-दो मेडल से कब तक संतोष करता रहेगा भारत?
हमारे देश में ज्यादातर खेलों का कोई खास वजूद नहीं है. यहां तक कि जिम्नास्ट दीपा कर्माकर को लोगों को यह विश्वास दिलाना पड़ा है कि वह कोई सर्कस नहीं करती हैं. इसके अलावा देश के कई टैलेंटेड एथलीटों को मामूली नौकरी करके पेट भरना पड़ता है.
स्पोर्ट्स
| 4-मिनट में पढ़ें
अशोक उपाध्याय
@ashok.upadhyay.12
रियो ओलंपिक में भारत के खराब प्रदर्शन के जिम्मेदार राजनेता हैं, खिलाड़ी नहीं!
भारत में न तो प्रतिभा की कमी है न लगन की. कमी है तो इस प्रतिभा को समुचित संसाधन देकर निखारने की . और जब तक इस संसाधन की कमान पूर्णतया राजनेताओं के पास रहेगी, भारत पदक तालिका में फिसड्डी ही बना रहेगा.